30 ज़हरीले साँपों का किया अध्ययन
30 ज़हरीले साँपों का किया अध्ययन

By Gaon Connection

भारत के 30 ज़हरीले साँपों के लगभग 5,000 रिकॉर्ड का विश्लेषण, 2931 ठोस लोकेशन और तैयार हुआ उनका वर्तमान और भविष्य का आवास मॉडल। यह डेटा सिर्फ़ वैज्ञानिक शोध नहीं, लोगों की तस्वीरों, सोशल मीडिया, सिटीजन साइंस से भी आया।

भारत के 30 ज़हरीले साँपों के लगभग 5,000 रिकॉर्ड का विश्लेषण, 2931 ठोस लोकेशन और तैयार हुआ उनका वर्तमान और भविष्य का आवास मॉडल। यह डेटा सिर्फ़ वैज्ञानिक शोध नहीं, लोगों की तस्वीरों, सोशल मीडिया, सिटीजन साइंस से भी आया।

नेपाल और चीन में फैले कर्णाली नदी के कैचमेंट क्षेत्र का मानचित्र। स्थलाकृति (टोपोग्राफी) SRTM 90 m V4.1 से ली गई है। स्टेशन नेटवर्क इस अध्ययन में उपयोग किए गए हाइड्रोलॉजिकल और मौसम विज्ञान से संबंधित स्टेशनों के स्थान दर्शाता है। नेटवर्क पर दिए गए नंबर प्रत्येक स्टेशन की पहचान संख्या हैं। ये सभी स्टेशन नेपाल के जल विज्ञान एवं मौसम विज्ञान विभाग (DHM) द्वारा संचालित किए जाते हैं।
नेपाल और चीन में फैले कर्णाली नदी के कैचमेंट क्षेत्र का मानचित्र। स्थलाकृति (टोपोग्राफी) SRTM 90 m V4.1 से ली गई है। स्टेशन नेटवर्क इस अध्ययन में उपयोग किए गए हाइड्रोलॉजिकल और मौसम विज्ञान से संबंधित स्टेशनों के स्थान दर्शाता है। नेटवर्क पर दिए गए नंबर प्रत्येक स्टेशन की पहचान संख्या हैं। ये सभी स्टेशन नेपाल के जल विज्ञान एवं मौसम विज्ञान विभाग (DHM) द्वारा संचालित किए जाते हैं।

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नेपाल और चीन में फैले कर्णाली नदी के कैचमेंट क्षेत्र का मानचित्र। स्थलाकृति (टोपोग्राफी) SRTM 90 m V4.1 से ली गई है। स्टेशन नेटवर्क इस अध्ययन में उपयोग किए गए हाइड्रोलॉजिकल और मौसम विज्ञान से संबंधित स्टेशनों के स्थान दर्शाता है। नेटवर्क पर दिए गए नंबर प्रत्येक स्टेशन की पहचान संख्या हैं। ये सभी स्टेशन नेपाल के जल विज्ञान एवं मौसम विज्ञान विभाग (DHM) द्वारा संचालित किए जाते हैं।

नेपाल और चीन में फैले कर्णाली नदी के कैचमेंट क्षेत्र का मानचित्र। स्थलाकृति (टोपोग्राफी) SRTM 90 m V4.1 से ली गई है। स्टेशन नेटवर्क इस अध्ययन में उपयोग किए गए हाइड्रोलॉजिकल और मौसम विज्ञान से संबंधित स्टेशनों के स्थान दर्शाता है। नेटवर्क पर दिए गए नंबर प्रत्येक स्टेशन की पहचान संख्या हैं। ये सभी स्टेशन नेपाल के जल विज्ञान एवं मौसम विज्ञान विभाग (DHM) द्वारा संचालित किए जाते हैं।

पहाड़ों में जहां पहले हफ्तों तक धीमी-धीमी बारिश होती थी, आज वही बारिश कुछ घंटों में महीनों जितनी गिर जाती है।
पहाड़ों में जहां पहले हफ्तों तक धीमी-धीमी बारिश होती थी, आज वही बारिश कुछ घंटों में महीनों जितनी गिर जाती है।

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पहाड़ों में जहां पहले हफ्तों तक धीमी-धीमी बारिश होती थी, आज वही बारिश कुछ घंटों में महीनों जितनी गिर जाती है।

पहाड़ों में जहां पहले हफ्तों तक धीमी-धीमी बारिश होती थी, आज वही बारिश कुछ घंटों में महीनों जितनी गिर जाती है।

मध्य हिमालय में संकट का सायरन: आने वाले दशकों में 100 साल वाली बाढ़ हर 5 साल में लौटेगी
मध्य हिमालय में संकट का सायरन: आने वाले दशकों में 100 साल वाली बाढ़ हर 5 साल में लौटेगी

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मध्य हिमालय में बारिश का पैटर्न बदल चुका है, कुछ घंटों में महीनों जितनी बारिश, और नदियाँ पहले से अधिक उफनती हुई। नई वैज्ञानिक स्टडी चेतावनी देती है कि आने वाले दशकों में बाढ़ सिर्फ बढ़ेगी ही नहीं, बल्कि पहाड़ों की ज़िंदगी की दिशा ही बदल देगी।

मध्य हिमालय में बारिश का पैटर्न बदल चुका है, कुछ घंटों में महीनों जितनी बारिश, और नदियाँ पहले से अधिक उफनती हुई। नई वैज्ञानिक स्टडी चेतावनी देती है कि आने वाले दशकों में बाढ़ सिर्फ बढ़ेगी ही नहीं, बल्कि पहाड़ों की ज़िंदगी की दिशा ही बदल देगी।

केंद्रीय मंत्रालय ने राष्ट्रीय हिम तेंदुआ इकोसिस्टम संरक्षण प्राथमिकताएं (NSLEP) के तहत हिम तेंदुए के संरक्षण को मिशन मोड में आगे बढ़ाया है।
केंद्रीय मंत्रालय ने राष्ट्रीय हिम तेंदुआ इकोसिस्टम संरक्षण प्राथमिकताएं (NSLEP) के तहत हिम तेंदुए के संरक्षण को मिशन मोड में आगे बढ़ाया है।

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केंद्रीय मंत्रालय ने राष्ट्रीय हिम तेंदुआ इकोसिस्टम संरक्षण प्राथमिकताएं (NSLEP) के तहत हिम तेंदुए के संरक्षण को मिशन मोड में आगे बढ़ाया है।

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हिम तेंदुए अब संख्या में कितने बचे? जानिए किस राज्य में हैं सबसे ज़्यादा
हिम तेंदुए अब संख्या में कितने बचे? जानिए किस राज्य में हैं सबसे ज़्यादा

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भारत ने पहली बार हिम तेंदुओं की देशव्यापी वैज्ञानिक गणना पूरी की है, जिसमें कुल 718 तेंदुओं के होने की पुष्टि हुई। यह सर्वे हिमालयी इकोसिस्टम की सुरक्षा और इस दुर्लभ प्रजाति के संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

भारत ने पहली बार हिम तेंदुओं की देशव्यापी वैज्ञानिक गणना पूरी की है, जिसमें कुल 718 तेंदुओं के होने की पुष्टि हुई। यह सर्वे हिमालयी इकोसिस्टम की सुरक्षा और इस दुर्लभ प्रजाति के संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

उत्तराखंड में अब खेती की ज़मीन पर भी बन सकेंगे रिसॉर्ट
उत्तराखंड में अब खेती की ज़मीन पर भी बन सकेंगे रिसॉर्ट

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उत्तराखंड सरकार ने विकास, पर्यटन और नागरिक जीवन सुधार के लिए ऐसे फैसले किए हैं, जो सीधे आम लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाएंगे। किसान, भूमिहीन, युवा प्रतियोगी परीक्षार्थी और शहरवासियों के लिए नई उम्मीदें और अवसर खुल रहे हैं

उत्तराखंड सरकार ने विकास, पर्यटन और नागरिक जीवन सुधार के लिए ऐसे फैसले किए हैं, जो सीधे आम लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाएंगे। किसान, भूमिहीन, युवा प्रतियोगी परीक्षार्थी और शहरवासियों के लिए नई उम्मीदें और अवसर खुल रहे हैं

ऊर्जा विशेषज्ञ कहते हैं, यह गिरावट पिछले दो वर्षों में जितनी तेज़ हुई है, उतनी शायद इतिहास में कभी नहीं हुई।
ऊर्जा विशेषज्ञ कहते हैं, यह गिरावट पिछले दो वर्षों में जितनी तेज़ हुई है, उतनी शायद इतिहास में कभी नहीं हुई।

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ऊर्जा विशेषज्ञ कहते हैं, यह गिरावट पिछले दो वर्षों में जितनी तेज़ हुई है, उतनी शायद इतिहास में कभी नहीं हुई।

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बीस वर्षों में 1.2 मिलियन से अधिक मौतें दर्ज की गईं।
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बीस वर्षों में 1.2 मिलियन से अधिक मौतें दर्ज की गईं।

बीस वर्षों में 1.2 मिलियन से अधिक मौतें दर्ज की गईं।

ये वही चार प्रजातियाँ हैं जो भारत में सर्पदंश से होने वाली लगभग 95 प्रतिशत मौतों के लिए ज़िम्मेदार हैं।
ये वही चार प्रजातियाँ हैं जो भारत में सर्पदंश से होने वाली लगभग 95 प्रतिशत मौतों के लिए ज़िम्मेदार हैं।

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ये वही चार प्रजातियाँ हैं जो भारत में सर्पदंश से होने वाली लगभग 95 प्रतिशत मौतों के लिए ज़िम्मेदार हैं।

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