By Seema Javed
सूरज अब सिर्फ दिन में नहीं चमकेगा, सस्ती बैटरियों ने सौर ऊर्जा को 24 घंटे का पावरहाउस बना दिया है, दुनिया की बिजली व्यवस्था बदल रही है, तेज़ी से, शांति से, और हमेशा के लिए।
सूरज अब सिर्फ दिन में नहीं चमकेगा, सस्ती बैटरियों ने सौर ऊर्जा को 24 घंटे का पावरहाउस बना दिया है, दुनिया की बिजली व्यवस्था बदल रही है, तेज़ी से, शांति से, और हमेशा के लिए।
By Seema Javed
दक्षिण अफ्रीका में हुए G20 समिट ने ग्लोबल साउथ की आवाज़ को पहले से कहीं ज़्यादा ताक़त दी और इस बदलाव के केंद्र में भारत रहा। जलवायु फाइनेंस, रिन्यूएबल एनर्जी, क्रिटिकल मिनरल्स और फूड सिक्योरिटी जैसे मुद्दों पर भारत की प्राथमिकताओं को स्पष्ट समर्थन मिला।
दक्षिण अफ्रीका में हुए G20 समिट ने ग्लोबल साउथ की आवाज़ को पहले से कहीं ज़्यादा ताक़त दी और इस बदलाव के केंद्र में भारत रहा। जलवायु फाइनेंस, रिन्यूएबल एनर्जी, क्रिटिकल मिनरल्स और फूड सिक्योरिटी जैसे मुद्दों पर भारत की प्राथमिकताओं को स्पष्ट समर्थन मिला।
By Seema Javed
उत्तराखंड की धराली में हालिया बादल फटने की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हिमालय अब चेतावनी नहीं दे रहा, बल्कि सीधा जवाब दे रहा है। जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित विकास और नीति स्तर पर लापरवाही ने इस पहाड़ी राज्य को बार-बार त्रासदी के मुहाने पर ला खड़ा किया है।
उत्तराखंड की धराली में हालिया बादल फटने की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हिमालय अब चेतावनी नहीं दे रहा, बल्कि सीधा जवाब दे रहा है। जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित विकास और नीति स्तर पर लापरवाही ने इस पहाड़ी राज्य को बार-बार त्रासदी के मुहाने पर ला खड़ा किया है।
By Seema Javed
ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि भारत 2032 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग जरूरतें सिर्फ 3% नवीकरणीय ऊर्जा से पूरी कर सकता है। यानी EV अपनाने से बिजली ग्रिड पर बोझ नहीं पड़ेगा, अगर स्मार्ट नीति और चार्जिंग समय का सही समन्वय हो। रिपोर्ट दिन के समय चार्जिंग को बढ़ावा देने, Time-of-Day टैरिफ और डेटा-आधारित नीतियों को अपनाने की सिफारिश करती है।
ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि भारत 2032 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग जरूरतें सिर्फ 3% नवीकरणीय ऊर्जा से पूरी कर सकता है। यानी EV अपनाने से बिजली ग्रिड पर बोझ नहीं पड़ेगा, अगर स्मार्ट नीति और चार्जिंग समय का सही समन्वय हो। रिपोर्ट दिन के समय चार्जिंग को बढ़ावा देने, Time-of-Day टैरिफ और डेटा-आधारित नीतियों को अपनाने की सिफारिश करती है।
By Seema Javed
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने जलवायु परिवर्तन को रोकने को केवल नैतिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि कानूनी कर्तव्य करार दिया है। अब दुनियाभर की सरकारें ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती और जीवाश्म ईंधनों से दूरी बनाए बिना बच नहीं सकेंगी, क्योंकि जलवायु संकट से निपटना अब मानवाधिकार और न्याय का सवाल बन गया है।
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने जलवायु परिवर्तन को रोकने को केवल नैतिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि कानूनी कर्तव्य करार दिया है। अब दुनियाभर की सरकारें ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती और जीवाश्म ईंधनों से दूरी बनाए बिना बच नहीं सकेंगी, क्योंकि जलवायु संकट से निपटना अब मानवाधिकार और न्याय का सवाल बन गया है।
By Seema Javed
IRENA की नई रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में शुरू की गई 91% नई रिन्यूएबल ऊर्जा परियोजनाएं किसी भी नई कोयला या गैस परियोजना से सस्ती थीं। तकनीकी प्रगति, प्रतिस्पर्धी बाजार और बैटरी जैसी तकनीकों ने बिजली उत्पादन की लागत को ऐतिहासिक रूप से गिरा दिया है, लेकिन ग्रिड से जुड़ाव, नीति समर्थन और वित्तीय व्यवस्था जैसी चुनौतियाँ खासकर विकासशील देशों के सामने अब भी एक बड़ी दीवार हैं।
IRENA की नई रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में शुरू की गई 91% नई रिन्यूएबल ऊर्जा परियोजनाएं किसी भी नई कोयला या गैस परियोजना से सस्ती थीं। तकनीकी प्रगति, प्रतिस्पर्धी बाजार और बैटरी जैसी तकनीकों ने बिजली उत्पादन की लागत को ऐतिहासिक रूप से गिरा दिया है, लेकिन ग्रिड से जुड़ाव, नीति समर्थन और वित्तीय व्यवस्था जैसी चुनौतियाँ खासकर विकासशील देशों के सामने अब भी एक बड़ी दीवार हैं।
By Seema Javed
आपका पसंदीदा खेल क्रिकेट जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहा है। नई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट ‘हिट फॉर सिक्स’ बताती है कि 2025 के IPL जैसे टूर्नामेंटों में हीटवेव और उमस ने खिलाड़ियों की सेहत पर गंभीर असर डाला। मुंबई, दिल्ली, तिरुवनंतपुरम जैसे शहरों में बढ़ते "खतरनाक गर्मी" वाले दिनों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट खेल संगठनों को सचेत करती है-जलवायु संकट अब खेल मैदान तक पहुंच गया है।
आपका पसंदीदा खेल क्रिकेट जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहा है। नई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट ‘हिट फॉर सिक्स’ बताती है कि 2025 के IPL जैसे टूर्नामेंटों में हीटवेव और उमस ने खिलाड़ियों की सेहत पर गंभीर असर डाला। मुंबई, दिल्ली, तिरुवनंतपुरम जैसे शहरों में बढ़ते "खतरनाक गर्मी" वाले दिनों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट खेल संगठनों को सचेत करती है-जलवायु संकट अब खेल मैदान तक पहुंच गया है।
By Seema Javed
भारत ने 2030 से पांच साल पहले ही अपनी कुल ऊर्जा क्षमता का 50% अक्षय स्रोतों से हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में उसकी मजबूत प्रतिबद्धता और नीति-निर्माण की सफलता को दर्शाती है। सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्रोतों पर बढ़ते निवेश, योजनाओं में जनभागीदारी और तेज़ी से बदलते ऊर्जा परिदृश्य ने भारत को वैश्विक मंच पर एक अग्रणी भूमिका में ला खड़ा किया है।
भारत ने 2030 से पांच साल पहले ही अपनी कुल ऊर्जा क्षमता का 50% अक्षय स्रोतों से हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में उसकी मजबूत प्रतिबद्धता और नीति-निर्माण की सफलता को दर्शाती है। सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्रोतों पर बढ़ते निवेश, योजनाओं में जनभागीदारी और तेज़ी से बदलते ऊर्जा परिदृश्य ने भारत को वैश्विक मंच पर एक अग्रणी भूमिका में ला खड़ा किया है।
By Seema Javed
2024 एशिया के लिए जलवायु संकट की भयावह चेतावनी लेकर आया। वैश्विक तापमान ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़े, और एशिया दुनिया की तुलना में लगभग दोगुनी गति से गर्म हो रहा है। WMO की रिपोर्ट बताती है कि कैसे समुद्री हीटवेव, पिघलते ग्लेशियर, और बार-बार आने वाली आपदाएं एशिया को सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से अस्थिर बना रही हैं। यह संकट अब भविष्य की आशंका नहीं, आज की चुनौती है—क्या हम तैयार हैं?
2024 एशिया के लिए जलवायु संकट की भयावह चेतावनी लेकर आया। वैश्विक तापमान ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़े, और एशिया दुनिया की तुलना में लगभग दोगुनी गति से गर्म हो रहा है। WMO की रिपोर्ट बताती है कि कैसे समुद्री हीटवेव, पिघलते ग्लेशियर, और बार-बार आने वाली आपदाएं एशिया को सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से अस्थिर बना रही हैं। यह संकट अब भविष्य की आशंका नहीं, आज की चुनौती है—क्या हम तैयार हैं?
By Seema Javed
गर्मी अब सिर्फ़ असहनीय नहीं रही, जानलेवा बन चुकी है—खासकर गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों के लिए। क्लाइमेट सेंट्रल की नई रिपोर्ट बताती है कि जलवायु परिवर्तन के चलते पिछले पाँच सालों में दुनिया भर में खतरनाक गर्मी वाले दिनों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।
गर्मी अब सिर्फ़ असहनीय नहीं रही, जानलेवा बन चुकी है—खासकर गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों के लिए। क्लाइमेट सेंट्रल की नई रिपोर्ट बताती है कि जलवायु परिवर्तन के चलते पिछले पाँच सालों में दुनिया भर में खतरनाक गर्मी वाले दिनों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।