सिर्फ दिन नहीं, अब 24 घंटे सोलर बिजली! बैटरी की गिरती कीमतों का कमाल
Seema Javed | Dec 11, 2025, 17:02 IST
सूरज अब सिर्फ दिन में नहीं चमकेगा, सस्ती बैटरियों ने सौर ऊर्जा को 24 घंटे का पावरहाउस बना दिया है, दुनिया की बिजली व्यवस्था बदल रही है, तेज़ी से, शांति से, और हमेशा के लिए।
( Image credit : Gaon Connection Network, Gaon Connection )
कभी हम सोचते थे कि सूरज ढलते ही सोलर ऊर्जा भी सो जाती है। गाँवों में रात आते ही इनवर्टर की रोशनी और शहरों में अनिश्चित बिजली कटौती, यह रोज़मर्रा का हिस्सा था। लेकिन लंदन से आई एक ताज़ा रिपोर्ट ने दुनिया को बता दिया कि कहानी बदल रही है। अब सूरज रात में भी चमक सकता है, बैटरियों में।
Ember नाम के स्वतंत्र ऊर्जा थिंक-टैंक की नई रिपोर्ट ने वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र में हलचल मचा दी है। रिपोर्ट कहती है कि बैटरी स्टोरेज इतना सस्ता हो चुका है कि दिन में बनी सौर ऊर्जा को बड़े पैमाने पर स्टोर करके रात में आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। यह सिर्फ तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि ऊर्जा की राजनीति और अर्थव्यवस्था, दोनों को बदल देने वाला मोड़ है।बैटरी कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट: ऊर्जा जगत में क्रांति
Ember की रिपोर्ट बताती है कि 2025 में बैटरी स्टोरेज की लागत गिरकर सिर्फ 65 डॉलर प्रति मेगावॉट घंटा रह गई है। यह चीन और अमेरिका के बाहर की वैश्विक कीमत है। ऊर्जा विशेषज्ञ कहते हैं, यह गिरावट पिछले दो वर्षों में जितनी तेज़ हुई है, उतनी शायद इतिहास में कभी नहीं हुई।
Ember की ग्लोबल इलेक्ट्रिसिटी एनालिस्ट कोस्तांसा रेंगेलोवा के शब्द खुद इस क्रांति की गवाही देते हैं, “2024 में बैटरी उपकरणों की कीमतें 40% गिरी थीं। 2025 में भी यह गिरावट जारी है। बैटरियों की अर्थव्यवस्था बदल चुकी है, और उद्योग अभी इस नई हकीकत को समझने की कोशिश कर रहा है।”
उनका यह बयान सिर्फ आँकड़ों का विश्लेषण नहीं, बल्कि भविष्य की ऊर्जा तस्वीर का आईना है।
सोलर ऊर्जा अब ‘दिन की दासता’ से मुक्त
सौर ऊर्जा की सबसे बड़ी चुनौती हमेशा यह रही कि सूरज ढले तो बिजली भी ढह जाए। लेकिन यह चुनौती अब खत्म होती दिख रही है। बैटरियों ने सोलर को ‘डेलाइट सोर्स’ से ‘ऑल-टाइम पावर’ में बदलना शुरू कर दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार: बैटरी स्टोरेज सिस्टम की कुल लागत: 125 डॉलर/किलोवाट-घंटा, इसमें केवल बैटरी का दाम: 75 डॉलर/किलोवॉट-घंटा (ज्यादातर चीन से), बाकी लागत इंस्टॉलेशन और ग्रिड कनेक्शन की, यह सीधे-सीधे दर्शाता है कि बिजली को दिन से रात तक सुरक्षित ले जाना अब पहले से कई गुना सस्ता हो गया है।
Ember की गणना और चौंकाती है:
यदि दिन की आधी सोलर ऊर्जा बैटरी में स्टोर की जाए, तो स्टोरेज से सिर्फ 33 डॉलर/MWh की अतिरिक्त लागत आती है। वैश्विक औसत सोलर कीमत: 43 डॉलर/MWh, यानी बैटरी + सोलर मिलकर कुल लागत बनती है: 76 डॉलर/MWh। यह आज भी दुनिया के कई देशों में पारंपरिक कोयला और गैस प्लांटों से बहुत सस्ता है।
कोस्तांसा रेंगेलोवा कहती हैं, “सौर ऊर्जा अब सिर्फ दिन की सस्ती बिजली नहीं रही। यह ‘कभी भी मिलने वाली बिजली’ बन चुकी है—कई देशों के लिए यह गेम-चेंजर है।”
भारत के लिए इसका क्या मतलब है?
भारत उन देशों में है जहाँ बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है। तेज़ी से बढ़ती आबादी, गर्मी की तीव्र लहरें, बढ़ती कूलिंग मांग और उद्योगिक विस्तार
इन सबने बिजली जरूरतों को नया स्वरूप दिया है। दूसरी ओर, भारत अभी भी बड़े स्तर पर कोयले पर निर्भर है, जिससे प्रदूषण, महंगाई और जलवायु जोखिम बढ़ते हैं।
ऐसे में बैटरी + सोलर का यह नया युग भारत के लिए जीवनरेखा बन सकता है।
गाँवों में जहां रात को बिजली अक्सर कमजोर रहती है, शहरों में जहां पीक डिमांड के दौरान ब्लैकआउट का खतरा बढ़ता है, औद्योगिक क्षेत्रों में जहां अनवरत बिजली सबसे बड़ा संसाधन है। अब बैटरी-युक्त सोलर सिस्टम बिजली के भविष्य को अधिक स्थिर, सस्ती और स्वच्छ बना सकते हैं।
ऊर्जा क्षेत्रों में बड़ा पलटाव
Ember की रिपोर्ट सिर्फ एक तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि एक ‘ऊर्जा पलटाव’ की ओर इशारा करती है: बैटरियों की उम्र बढ़ रही है, उनकी एफिशिएंसी सुधर रही है, फाइनेंसिंग आसान हो रही है, कई देशों में बैटरी स्टोरेज के लिए नीलामी और सब्सिडी मॉडल आ रहे हैं। इन सबका परिणाम है कि बैटरी अब ‘लक्ज़री टेक्नोलॉजी’ नहीं रही—यह अब मुख्यधारा की, विश्वसनीय और किफायती तकनीक बन चुकी है।
स्वच्छ ऊर्जा का नया अध्याय शुरू
इस समय दुनिया जिस ‘क्लीन पावर मोमेंट’ का इंतज़ार कर रही थी, वह शायद अब शुरू हो चुका है।
सौर ऊर्जा सबसे सस्ता स्रोत बन चुकी है, बैटरियाँ सबसे सस्ती स्टोरेज तकनीक बन रही हैं, ग्रिड अब पहले से कहीं अधिक लचीला और स्मार्ट हो रहा है, यह संयोजन दुनिया को कोयला और तेल जैसे पारंपरिक स्रोतों की निर्भरता से मुक्त कर सकता है।
सूरज जो सदियों से जीवन का स्रोत रहा है, अब भविष्य में समृद्धि, ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संतुलन का नया आधार बन सकता है। और बैटरी उसके हाथ में वह चाबी है, जो इस ऊर्जा को 24 घंटे तक लोगों के काम आने लायक बनाती है।
Ember नाम के स्वतंत्र ऊर्जा थिंक-टैंक की नई रिपोर्ट ने वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र में हलचल मचा दी है। रिपोर्ट कहती है कि बैटरी स्टोरेज इतना सस्ता हो चुका है कि दिन में बनी सौर ऊर्जा को बड़े पैमाने पर स्टोर करके रात में आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। यह सिर्फ तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि ऊर्जा की राजनीति और अर्थव्यवस्था, दोनों को बदल देने वाला मोड़ है।बैटरी कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट: ऊर्जा जगत में क्रांति
Ember की रिपोर्ट बताती है कि 2025 में बैटरी स्टोरेज की लागत गिरकर सिर्फ 65 डॉलर प्रति मेगावॉट घंटा रह गई है। यह चीन और अमेरिका के बाहर की वैश्विक कीमत है। ऊर्जा विशेषज्ञ कहते हैं, यह गिरावट पिछले दो वर्षों में जितनी तेज़ हुई है, उतनी शायद इतिहास में कभी नहीं हुई।
( Image credit : Gaon Connection Network, Gaon Connection )
Ember की ग्लोबल इलेक्ट्रिसिटी एनालिस्ट कोस्तांसा रेंगेलोवा के शब्द खुद इस क्रांति की गवाही देते हैं, “2024 में बैटरी उपकरणों की कीमतें 40% गिरी थीं। 2025 में भी यह गिरावट जारी है। बैटरियों की अर्थव्यवस्था बदल चुकी है, और उद्योग अभी इस नई हकीकत को समझने की कोशिश कर रहा है।”
उनका यह बयान सिर्फ आँकड़ों का विश्लेषण नहीं, बल्कि भविष्य की ऊर्जा तस्वीर का आईना है।
सोलर ऊर्जा अब ‘दिन की दासता’ से मुक्त
सौर ऊर्जा की सबसे बड़ी चुनौती हमेशा यह रही कि सूरज ढले तो बिजली भी ढह जाए। लेकिन यह चुनौती अब खत्म होती दिख रही है। बैटरियों ने सोलर को ‘डेलाइट सोर्स’ से ‘ऑल-टाइम पावर’ में बदलना शुरू कर दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार: बैटरी स्टोरेज सिस्टम की कुल लागत: 125 डॉलर/किलोवाट-घंटा, इसमें केवल बैटरी का दाम: 75 डॉलर/किलोवॉट-घंटा (ज्यादातर चीन से), बाकी लागत इंस्टॉलेशन और ग्रिड कनेक्शन की, यह सीधे-सीधे दर्शाता है कि बिजली को दिन से रात तक सुरक्षित ले जाना अब पहले से कई गुना सस्ता हो गया है।
Ember की गणना और चौंकाती है:
यदि दिन की आधी सोलर ऊर्जा बैटरी में स्टोर की जाए, तो स्टोरेज से सिर्फ 33 डॉलर/MWh की अतिरिक्त लागत आती है। वैश्विक औसत सोलर कीमत: 43 डॉलर/MWh, यानी बैटरी + सोलर मिलकर कुल लागत बनती है: 76 डॉलर/MWh। यह आज भी दुनिया के कई देशों में पारंपरिक कोयला और गैस प्लांटों से बहुत सस्ता है।
कोस्तांसा रेंगेलोवा कहती हैं, “सौर ऊर्जा अब सिर्फ दिन की सस्ती बिजली नहीं रही। यह ‘कभी भी मिलने वाली बिजली’ बन चुकी है—कई देशों के लिए यह गेम-चेंजर है।”
भारत के लिए इसका क्या मतलब है?
भारत उन देशों में है जहाँ बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है। तेज़ी से बढ़ती आबादी, गर्मी की तीव्र लहरें, बढ़ती कूलिंग मांग और उद्योगिक विस्तार
इन सबने बिजली जरूरतों को नया स्वरूप दिया है। दूसरी ओर, भारत अभी भी बड़े स्तर पर कोयले पर निर्भर है, जिससे प्रदूषण, महंगाई और जलवायु जोखिम बढ़ते हैं।
ऐसे में बैटरी + सोलर का यह नया युग भारत के लिए जीवनरेखा बन सकता है।
गाँवों में जहां रात को बिजली अक्सर कमजोर रहती है, शहरों में जहां पीक डिमांड के दौरान ब्लैकआउट का खतरा बढ़ता है, औद्योगिक क्षेत्रों में जहां अनवरत बिजली सबसे बड़ा संसाधन है। अब बैटरी-युक्त सोलर सिस्टम बिजली के भविष्य को अधिक स्थिर, सस्ती और स्वच्छ बना सकते हैं।
ऊर्जा क्षेत्रों में बड़ा पलटाव
Ember की रिपोर्ट सिर्फ एक तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि एक ‘ऊर्जा पलटाव’ की ओर इशारा करती है: बैटरियों की उम्र बढ़ रही है, उनकी एफिशिएंसी सुधर रही है, फाइनेंसिंग आसान हो रही है, कई देशों में बैटरी स्टोरेज के लिए नीलामी और सब्सिडी मॉडल आ रहे हैं। इन सबका परिणाम है कि बैटरी अब ‘लक्ज़री टेक्नोलॉजी’ नहीं रही—यह अब मुख्यधारा की, विश्वसनीय और किफायती तकनीक बन चुकी है।
स्वच्छ ऊर्जा का नया अध्याय शुरू
इस समय दुनिया जिस ‘क्लीन पावर मोमेंट’ का इंतज़ार कर रही थी, वह शायद अब शुरू हो चुका है।
सौर ऊर्जा सबसे सस्ता स्रोत बन चुकी है, बैटरियाँ सबसे सस्ती स्टोरेज तकनीक बन रही हैं, ग्रिड अब पहले से कहीं अधिक लचीला और स्मार्ट हो रहा है, यह संयोजन दुनिया को कोयला और तेल जैसे पारंपरिक स्रोतों की निर्भरता से मुक्त कर सकता है।
सूरज जो सदियों से जीवन का स्रोत रहा है, अब भविष्य में समृद्धि, ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संतुलन का नया आधार बन सकता है। और बैटरी उसके हाथ में वह चाबी है, जो इस ऊर्जा को 24 घंटे तक लोगों के काम आने लायक बनाती है।