अब 'ज्ञान संसाधन केंद्र' से ही मिल सकेगी खेती पशुपालन और तकनीक से जुड़ी सारी जानकारी

Dr. Satyendra Pal Singh | Nov 10, 2023, 07:35 IST
देश के लगभग 500 कृषि विज्ञान केंद्रों को अपने-अपने जिले में कम से कम पाँच -पाँच किसान उत्पादक संगठनों को बढ़ावा देने के साथ उन्हें तकनीकी जानकारी और बाज़ार के मुताबिक उत्पाद बढ़ाने में सहयोग देने के लिए तैयार किया जा रहा है।
Kisaan Connection
किसान भाइयों को आधुनिक खेती, बीज या बाज़ार से जुड़ी किसी भी जानकारी के लिए अब इधर उधर नहीं भटकना पड़ेगा।

कृषि विज्ञान केंद्र हर जिले में विशेष केंद्र तैयार कर रहा है, जहाँ खेती बाड़ी से जुड़ी किसान भाइयों की हर समस्या का समाधान होगा।

जी हाँ, जैसे लोगों को सेहतमंद रखने और ज़रूरी स्वास्थ्य सलाह देने के लिए अस्पतालों में डॉक्टर उपलब्ध रहते हैं, उसी तरह किसानों की समस्याओं के समाधान और फसलों में लगने वाली बीमारियों के इलाज के लिए कृषि विज्ञान केंद्र भी काम करते रहते हैं।

जल्द ही कृषि विज्ञान केंद्र एकल खिड़की ज्ञान संसाधन और क्षमता विकास केंद्र के रूप में काम करेंगे।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका को और अधिक प्रभावी और कार्यशील बनाने की तैयारी की जा रही है, जिससे किसानों को अधिक से अधिक फायदा हो सके।

देखा जाए तो किसानों को कृषि और कृषि से जुड़ी हुई तकनीकी जानकारी पहुंचाने के लिए इससे बड़ा कृषि प्रसार का कोई दूसरा मॉडल पूरी दुनिया में दिखाई नहीं देता है। हर जिले में किसानों की मदद के लिए एक या फिर दो कृषि विज्ञान केंद्र संचालित होते हैं जहाँ पर किसानों की हर एक समस्या के समाधान के लिए डॉक्टर यानी वैज्ञानिक मौजूद रहते हैं।

368954-krishi-vigyan-kendra-knowledge-resource-centre-farming-training-farmers-agriculture-2

भारत में कृषि विज्ञान केंद्रों के खोले जाने की शुरुआत 50 साल पहले हुई थी। सबसे पहला कृषि विज्ञान केंद्र 1974 में पांडिचेरी में खोला गया था। तब से अब तक कृषि विज्ञान केंद्रों के खोले जाने का सिलसिला लगातार जारी है। आज पूरे देश में 731 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्र जिला स्तर पर कार्य कर रहे हैं।

जिले में किसानों को कृषि में विज्ञान और तकनीकी को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की पहल पर कृषि विज्ञान केंद्रों की शुरुआत की गई थी; तब से अब तक कृषि विज्ञान केंद्रों ने एक लंबा सफर तय किया है। इस सफर में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। लेकिन समय के साथ कृषि विज्ञान केंद्रों के कार्यों की ताकत का लोहा आज हर संस्था और एजेंसी मान रही है।

अब तक कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा किसानों, ग्रामीण युवाओं-युवतियों, प्रसार कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण, प्रदर्शन, तकनीकी का मूल्यांकन, प्रचार-प्रसार आदि का कार्य किया जाता रहा है; लेकिन अब जैव विविधता संरक्षण और प्रकृति सकारात्मक कृषि को भी बढ़ावा दिया जाएगा।

कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की हैंड होल्डिंग कर उनकी मदद की जाएगी। देश के लगभग 500 कृषि विज्ञान केंद्रों को अपने-अपने जिले में कम से कम पाँच -पाँच एफपीओ को बढ़ावा देने के साथ उन्हें तकनीकी और उनके व्यवसाय में उत्पाद तैयार करने से लेकर बज़ार में बेचने तक मैं हैंड होल्डिंग की तैयारी की जा रही है।

कृषि विज्ञान केंद्रों के मैंडेट में बदलाव का प्रस्ताव भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा भारत सरकार की व्यय वित्त समिति (ईएफसी) के सामने रखा गया है। इसके पास होते ही कृषि विज्ञान केंद्र 'एकल खिड़की ज्ञान संसाधन और क्षमता विकास' केंद्र के रूप में कार्य करेंगे। जिसके तहत एकल खिड़की व्यापार की योजना, डिजिटल कृषि जैसे कई विषय अहम होंगे। एक प्रकार से कहें तो कृषि विज्ञान केंद्र 'ज्ञान संसाधन केंद्र' के रूप में तब्दील हो जाएँगे।

368955-shiva-kumar-maurya-gonda-farmer-kisaan-connection-2

जहाँ कृषि, पशुपालन, उद्यानकी, बागवानी आदि के तकनीकी और व्यवहारिक ज्ञान के साथ ही उनसे पैदा होने वाले उत्पादों का मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण और विपणन में सहयोग देने में भूमिका होगी। कृषि व्यवसाय प्रबंधन के साथ ही द्वितीयक कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। देश की बढ़ती आबादी के साथ ही जिस प्रकार से किसान की जोत घट रही है उसको देखते हुए सेकेंडरी एग्रीकल्चर बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।

सरकार की कोशिश है कि सेकेंडरी एग्रीकल्चर को बढ़ावा देकर किसानों की आय में अधिक से अधिक इजाफ़ा किया जाए।

एक तरफ कृषि विज्ञान केंद्रों को जिला स्तर पर ज्ञान संसाधन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ सरकारी संस्थाओं और तंत्र द्वारा गैर तकनीकी कार्यों में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी जाती है।

आज कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक और कर्मचारियों को अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों की तरह अनाज वितरण से लेकर बोर्ड परीक्षा, चुनाव और अन्य अनेक राज्य सरकार के कार्यों में लगा दिया जाता है। इस प्रकार की ड्यूटी लग जाने से उनके मूलभूत कार्यों में व्यवधान पैदा होता है।

देखा जाए तो कृषि विज्ञान केंद्र पर बहुत छोटा सा स्टाफ काम करता है। एक केंद्र प्रमुख के अलावा, छह वैज्ञानिक और अन्य सहायकों सहित कुल 16 वैज्ञानिकों-कर्मचारियों का स्टाफ केंद्र पर काम करता है। ज़्यादातर कृषि विज्ञान केंद्रों पर स्टाफ की कमी भी है जिसे पूरा करने की ज़रूरत है।

राज्यों और केंद्र सरकार के कृषि विज्ञान केंद्रों को और अधिक सक्षम और सफल बनाने के लिए इन विषयों पर भी विचार करना होगा जिससे कृषि विज्ञान केंद्र और प्रभावी ढंग से किसानों की सेवा कर सके।

(डॉ. सत्येंद्र पाल सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र, लहार (भिंड) मध्य प्रदेश के प्रधान वैज्ञानिक व प्रमुख हैं, ये उनके निजी विचार हैं)

Tags:
  • Kisaan Connection
  • krishi vigyan kendra

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.