By Dr. Satyendra Pal Singh
भारत में लगभग 50 स्वदेशी गाय नस्लें हैं, जो न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि की रीढ़ भी हैं। जानिए गिर, साहीवाल, थारपारकर जैसी गायों का इतिहास, वर्तमान चुनौतियाँ और संरक्षण की राह।
भारत में लगभग 50 स्वदेशी गाय नस्लें हैं, जो न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि की रीढ़ भी हैं। जानिए गिर, साहीवाल, थारपारकर जैसी गायों का इतिहास, वर्तमान चुनौतियाँ और संरक्षण की राह।
By Dr. Satyendra Pal Singh
एक तरफ मिट्टी की सेहत खराब है तो वहीं दूसरी तरफ किसानों को उचित समय पर उन्नतशील बीज भी नहीं मिल पा रहे हैं। धीरे-धीरे किसान के हाथ से अपनी फसलों के बीज भी निकलते जा रहे हैं।
एक तरफ मिट्टी की सेहत खराब है तो वहीं दूसरी तरफ किसानों को उचित समय पर उन्नतशील बीज भी नहीं मिल पा रहे हैं। धीरे-धीरे किसान के हाथ से अपनी फसलों के बीज भी निकलते जा रहे हैं।
By Dr. Satyendra Pal Singh
पूरे देश में कृषि विज्ञान केंद्रों को कार्य करते हुए 50 वर्षों से अधिक का समय हो चुका है। जिला स्तर पर किसानों की सेवा में तत्पर और अपने काम की बदौलत कृषि विज्ञान केंद्र एक ऐसा नाम बन चुका है कि हर संस्था औरं विभागों की निर्भरता इन केंद्रों पर हमेशा बनी रहती है। बावजूद इसके कृषि विज्ञान केंद्र कर्मियों के वेतन व सेवा शर्तों में असंवैधानिक ढंग से कटौती कर इन्हें बंधुआ मजदूर से भी बद्तर स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है।
पूरे देश में कृषि विज्ञान केंद्रों को कार्य करते हुए 50 वर्षों से अधिक का समय हो चुका है। जिला स्तर पर किसानों की सेवा में तत्पर और अपने काम की बदौलत कृषि विज्ञान केंद्र एक ऐसा नाम बन चुका है कि हर संस्था औरं विभागों की निर्भरता इन केंद्रों पर हमेशा बनी रहती है। बावजूद इसके कृषि विज्ञान केंद्र कर्मियों के वेतन व सेवा शर्तों में असंवैधानिक ढंग से कटौती कर इन्हें बंधुआ मजदूर से भी बद्तर स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है।
By Dr. Satyendra Pal Singh
भारत दुनिया का शीर्ष देसी घी उत्पादक और उपभोक्ता देश है। भारत में वर्ष 2020 में 170 हजार मीट्रिक टन देसी घी का उत्पादन किया गया जो कि दुनिया में सर्वाधिक है। भारत के बाद दूसरे स्थान पर संयुक्त राज्य अमेरिका आता है जिसका घी उत्पादन भारत से लगभग आधा है।
भारत दुनिया का शीर्ष देसी घी उत्पादक और उपभोक्ता देश है। भारत में वर्ष 2020 में 170 हजार मीट्रिक टन देसी घी का उत्पादन किया गया जो कि दुनिया में सर्वाधिक है। भारत के बाद दूसरे स्थान पर संयुक्त राज्य अमेरिका आता है जिसका घी उत्पादन भारत से लगभग आधा है।
By Dr. Satyendra Pal Singh
भारत में कृषि हमेशा से मानसून पर आधारित रही है। जिस साल मानसून अच्छा रहेगा उस साल खरीफ का उत्पादन बहुत अच्छा होता है। इतना ही नहीं मानसून की बारिश अच्छी रहने पर रबी की फसलों पर भी प्रभाव पड़ता है और फसलों का उत्पादन अच्छा प्राप्त होता है।
भारत में कृषि हमेशा से मानसून पर आधारित रही है। जिस साल मानसून अच्छा रहेगा उस साल खरीफ का उत्पादन बहुत अच्छा होता है। इतना ही नहीं मानसून की बारिश अच्छी रहने पर रबी की फसलों पर भी प्रभाव पड़ता है और फसलों का उत्पादन अच्छा प्राप्त होता है।
By Dr. Satyendra Pal Singh
खेती किसानी से लेकर घर-दफ्तर हर जगह आज पूरी दुनिया दीमक की समस्या से जूझ रही है। ऐसे में नीम का तेल ,क्लोरोफाईरीफोस, नमक, खट्टी दही या बोरेक्स पाउडर का इस्तेमाल उसका काम तमाम कर सकता है। कैसे? इसे विस्तार से समझते हैं।
खेती किसानी से लेकर घर-दफ्तर हर जगह आज पूरी दुनिया दीमक की समस्या से जूझ रही है। ऐसे में नीम का तेल ,क्लोरोफाईरीफोस, नमक, खट्टी दही या बोरेक्स पाउडर का इस्तेमाल उसका काम तमाम कर सकता है। कैसे? इसे विस्तार से समझते हैं।
By Dr. Satyendra Pal Singh
पेड़-पौधे, जंगल, वन, वानिकी और सामाजिक वानिकी मानव जाति के जीने के लिए उतना ही जरूरी है; जितना के खाने के लिए अनाज और पीने के लिए पानी है।
पेड़-पौधे, जंगल, वन, वानिकी और सामाजिक वानिकी मानव जाति के जीने के लिए उतना ही जरूरी है; जितना के खाने के लिए अनाज और पीने के लिए पानी है।
By Dr. Satyendra Pal Singh
आज डॉ. स्वामीनाथन हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा जो कार्य देश के लिए किया गया है: निश्चित तौर से भारत की जनता और किसानों के लिए इससे बड़ा वरदान कोई और दूसरा हो नहीं सकता। भारत सरकार द्वारा उन्हें भारत रत्न देने पर भारत के संपूर्ण कृषि वैज्ञानिकों से लेकर देश के किसान अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
आज डॉ. स्वामीनाथन हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा जो कार्य देश के लिए किया गया है: निश्चित तौर से भारत की जनता और किसानों के लिए इससे बड़ा वरदान कोई और दूसरा हो नहीं सकता। भारत सरकार द्वारा उन्हें भारत रत्न देने पर भारत के संपूर्ण कृषि वैज्ञानिकों से लेकर देश के किसान अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
By Dr. Satyendra Pal Singh
कृषि के विकास पर बात की जाए तो कम से कम 7000 से 13000 ईसा वर्ष पूर्व ही खेती का विकास हो चुका था। तब से लेकर अब तक खेती में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं।
कृषि के विकास पर बात की जाए तो कम से कम 7000 से 13000 ईसा वर्ष पूर्व ही खेती का विकास हो चुका था। तब से लेकर अब तक खेती में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं।
By Dr. Satyendra Pal Singh
देश के लगभग 500 कृषि विज्ञान केंद्रों को अपने-अपने जिले में कम से कम पाँच -पाँच किसान उत्पादक संगठनों को बढ़ावा देने के साथ उन्हें तकनीकी जानकारी और बाज़ार के मुताबिक उत्पाद बढ़ाने में सहयोग देने के लिए तैयार किया जा रहा है।
देश के लगभग 500 कृषि विज्ञान केंद्रों को अपने-अपने जिले में कम से कम पाँच -पाँच किसान उत्पादक संगठनों को बढ़ावा देने के साथ उन्हें तकनीकी जानकारी और बाज़ार के मुताबिक उत्पाद बढ़ाने में सहयोग देने के लिए तैयार किया जा रहा है।