हर साल उजड़ते खेत, टूटती उम्मीदें… प्राकृतिक आपदाओं पर संसद में बड़ी चर्चा

Gaon Connection | Gaon Connection Network | Dec 10, 2025, 14:10 IST
प्राकृतिक आपदाएँ सिर्फ खेत नहीं उजाड़तीं, बल्कि किसानों की सालभर की मेहनत और उम्मीदें भी बहा ले जाती हैं। संसद में पेश हुए आंकड़ों में बताया गया कि हर साल लाखों किसान तूफ़ान, बाढ़ और बारिश की मार झेल रहे हैं।
कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री के आंकड़ों के अनुसार अभी तक सबसे अधिक नुकसान साल 2022-23 में हुआ उसके बाद 2024-25 में सबसे अधिक नुकसान हुआ।
देश की संसद में हाल ही में इस बात पर चर्चा हुई कि प्राकृतिक आपदाओं की वजह से किसानों की फ़सलें हर साल किस तरह बर्बाद हो रही हैं। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि उन किसानों की ज़िंदगी से जुड़ा दर्द है, जो मौसम की हर मार सबसे पहले और सबसे ज़्यादा झेलते हैं।

ओडिशा के पुरी ज़िले के अस्तरंगा ब्लॉक में रहने वाले 56 साल के बंशीधर बारिक इसका एक जीता-जागता उदाहरण हैं। उनका गाँव समुद्र से सिर्फ एक किलोमीटर दूर है, इसलिए हर बार जब समंदर का तूफ़ान उठता है, तो सबसे पहले उनकी जमीन पर ही कहर बरपता है। पिछले साल आए चक्रवात ‘दाना’ ने उनकी धान की फसल को पूरी तरह चौपट कर दिया था, और इस साल 'मोंथा' चक्रवात ने बची-खुची उम्मीद भी खत्म कर दी। बंशीधर जैसे लाखों किसान हर साल ऐसे ही हालातों से गुजरते हैं।

एक बड़ा सवाल यह भी उठा कि क्या कृषि आपदाओं के लिए देश में एक अलग राष्ट्रीय संस्था NADMA बनाई जाएगी?
एक बड़ा सवाल यह भी उठा कि क्या कृषि आपदाओं के लिए देश में एक अलग राष्ट्रीय संस्था NADMA बनाई जाएगी?


लोकसभा में पेश किए गए आंकड़े भी बताते हैं कि मौसम के बदलते रूप ने कृषि को कितना बड़ा नुकसान पहुँचाया है। केंद्रीय मंत्री रामनाथ ठाकुर ने बताया कि केवल साल 2024–25 में ही बाढ़, चक्रवात और भारी बारिश जैसी आपदाओं की वजह से देश में करीब 13.11 लाख हेक्टेयर फसलें बुरी तरह प्रभावित हुईं। कई राज्यों में खेती का बड़ा हिस्सा लगातार तीन साल से नुकसान झेल रहा है।उदाहरण के लिए, आंध्र प्रदेश ने 2022-23 में 0.07 लाख हेक्टेयर, 2023-24 में 1.30 लाख हेक्टेयर और 2024-25 में 0.11 लाख हेक्टेयर प्रभावित क्षेत्र की सूचना दी। इसी तरह, असम ने 2022-23 में 1.15 लाख हेक्टेयर, 2023-24 में 0.59 लाख हेक्टेयर और 2024-25 में 1.38 लाख हेक्टेयर की सूचना दी। इन वर्षों के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल प्रभावित फसलों का रकबा क्रमशः 18.428 लाख हेक्टेयर, 9.39 लाख हेक्टेयर और 13.11 लाख हेक्टेयर रहा।

कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री के आंकड़ों के अनुसार अभी तक सबसे अधिक नुकसान साल 2022-23 में हुआ उसके बाद 2024-25 में सबसे अधिक नुकसान हुआ।

साल 2024-25 में सबसे अधिक नुकसान उत्तर प्रदेश में 3.95, उसके बाद तमिलनाडु-2.92, फिर कर्नाटका-2.86, उसके बाद पश्चिम बंगाल-1.38 में हुआ।

प्राकृतिक आपदाओं का बोझ आज सबसे ज़्यादा किसानों पर पड़ रहा है।
प्राकृतिक आपदाओं का बोझ आज सबसे ज़्यादा किसानों पर पड़ रहा है।


संसद में यह भी बताया गया कि आपदा प्रबंधन की मुख्य जिम्मेदारी राज्यों के पास होती है, जबकि केंद्र सरकार राहत और वित्तीय सहायता देती है। सूखे, बाढ़ और चक्रवात जैसी परिस्थितियों की निगरानी और कार्रवाई के लिए कई समितियाँ और टीमें काम करती हैं, जैसे केंद्रीय सूखा राहत आयुक्त, संकट प्रबंधन समूह, फसल मौसम निगरानी समूह और अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीमें। ये टीमें राज्यों की स्थिति का आकलन करके केंद्र सरकार को जरूरत के मुताबिक सहायता सुझाती हैं। हालांकि, यह बात भी सामने आई कि पिछले तीन सालों में इन तंत्रों की प्रभावशीलता कैसी रही है—इस पर कोई स्पष्ट मूल्यांकन नहीं किया गया है।एक बड़ा सवाल यह भी उठा कि क्या कृषि आपदाओं के लिए देश में एक अलग राष्ट्रीय संस्था, NADMA बनाई जाएगी? इसके जवाब में कृषि मंत्रालय ने साफ कहा कि इस समय ऐसा कोई प्रस्ताव विचार में नहीं है। यानी फिलहाल खेती से जुड़ी आपदाओं का प्रबंधन मौजूदा तंत्र और राज्यों-केंद्र के समन्वय पर ही निर्भर रहेगा।

इन सारी चर्चाओं के बीच सबसे बड़ा सच यही है कि प्राकृतिक आपदाओं का बोझ आज सबसे ज़्यादा किसानों पर पड़ रहा है। बंशीधर बारिक जैसे किसान हर साल नई फसल बोते हैं, लेकिन उनके भविष्य की फसलें मौसम के भरोसे टिकी रहती हैं। देश की संसद में आंकड़े भले ही फाइलों पर दर्ज हों, लेकिन गांवों में वो आंकड़े किसी किसान के टूटे खलिहान, उजड़े खेत और खाली धान के बोरो में दिखाई देते हैं।
Tags:
  • parliament
  • Hydrometeorological
  • disaster
  • heavy rain
  • floods
  • Natural Disasters
  • Crop Damage
  • Parliament Discussion
  • Odisha
  • Uttar pradesh

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.