AI से बदलेगी खेती: सरकार की नई तकनीक से फसल, आय और फैसला; अब तीनों होंगे स्मार्ट
Gaon Connection | Dec 09, 2025, 17:23 IST
( Image credit : Gaon Connection Network, Gaon Connection )
सरकार ने खेती को टिकाऊ और लाभदायक बनाने के लिए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस को मैदान में उतार दिया है। मानसून पूर्वानुमान, कीट पहचान और कृषि योजनाओं की जानकारी अब AI से किसानों तक पहुँच रही है, जिससे पैदावार बढ़ने और नुकसान घटने की उम्मीद है।
<p>किसानों के सवालों का तुरंत समाधान देने के लिए एक वॉयस-बेस्ड एआई चैटबॉट “किसान ई-मित्र” विकसित किया गया है।<br></p>
कृषि की समस्याएँ हल करने, फसल उत्पादन बढ़ाने, खेती को टिकाऊ बनाने और किसानों की आय सुधारने के लिए सरकार अब तेज़ी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग कर रही है। खेत, मौसम, कीट और बुवाई से जुड़े फैसले अब वैज्ञानिक आँकड़ों और एआई की स्मार्ट भविष्यवाणी के आधार पर लिए जा रहे हैं, ताकि किसान कम जोखिम और ज़्यादा मुनाफ़े के साथ खेती कर सकें।
इसी दिशा में सरकार ने डेवलपमेंट इनोवेशन लैब–इंडिया के साथ मिलकर एक एआई टेस्ट किया, जिसमें खरीफ 2025 के लिए 13 राज्यों में स्थानीय मानसून आने का सही समय अनुमानित किया गया। यह अनुमान किसानों के लिए बेहद अहम होता है, क्योंकि बुवाई समय पर हो जाए तो बीज, खाद और मेहनत का पूरा फायदा मिलता है।
इस पूर्वानुमान को तैयार करने के लिए एक ओपन-सोर्स ब्लेंडेड मॉडल का इस्तेमाल किया गया, जिसमें Neural-GCM, यूरोपीय मौसम मॉडल ECMWF–AIFS और भारतीय मौसम विभाग के 125 साल के वर्षा डेटा को जोड़ा गया। तैयार पूर्वानुमान पाँच भाषाओं-हिन्दी, उड़िया, मराठी, बांग्ला और पंजाबी में एम-किसान पोर्टल के जरिए 3 करोड़ 88 लाख 45 हजार से ज़्यादा किसानों को एसएमएस के रूप में भेजे गए।
सरकार द्वारा मध्य प्रदेश और बिहार में किसानों से फ़ोन पर ली गई प्रतिक्रिया में पाया गया कि 31% से 52% किसानों ने इन संदेशों के आधार पर बुवाई की रणनीति बदली। इसमें बुवाई की तारीख बदलने, खेत की तैयारी का समय तय करने, फसल चयन करने और आवश्यक इनपुट खरीदने जैसे फ़ैसले शामिल थे। इससे स्पष्ट है कि एआई आधारित मौसम जानकारी सीधे खेती के फ़ैसलों को प्रभावित कर रही है और किसानों के जोखिम कम कर रही है।
इसके साथ ही किसानों के सवालों का तुरंत समाधान देने के लिए एक वॉयस-बेस्ड एआई चैटबॉट “किसान ई-मित्र” विकसित किया गया है, जो पीएम किसान सम्मान निधि, पीएम फसल बीमा योजना और किसान क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाओं से जुड़े सवालों के जवाब देता है। यह 11 भाषाओं में चलता है, रोजाना 8,000 से ज़्यादा किसानों की शंकाएँ समाधान करता है, और अब तक 93 लाख से ज़्यादा प्रश्न हल कर चुका है।
कीट नियंत्रण में भी एआई बड़ा रोल निभा रहा है। राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली के तहत किसान खेत में कीट की फोटो भेजते हैं और एआई प्रणाली कीट की पहचान कर तुरंत समाधान का सुझाव देती है। यह टूल आज 10,000 से अधिक कृषि विस्तार कर्मियों के साथ काम कर रहा है और 66 फसलों व 432 प्रकार के कीटों पर किसानों को मदद प्रदान कर रहा है। इससे कीट प्रकोप समय रहते नियंत्रित होता है और नुकसान काफी कम होता है।
फसल निगरानी में भी एआई का इस्तेमाल बढ़ा है। सैटेलाइट तस्वीरों और खेत से ली गई जियो-टैग्ड फोटो की मदद से एआई सिस्टम फसल की स्थिति, बोई गई फसलों की पहचान और मौसमी प्रगति का विश्लेषण करता है, जिससे उत्पादन अनुमान और कृषि नीति दोनों मजबूत होते हैं।
सरकार का मानना है कि एआई से खेती को स्मार्ट, सुरक्षित, कम जोखिम वाली और ज्यादा लाभदायक बनाया जा सकता है और आने वाले वर्षों में एआई आधारित कृषि सेवाओं का दायरा और तेज़ी से बढ़ेगा।
इसी दिशा में सरकार ने डेवलपमेंट इनोवेशन लैब–इंडिया के साथ मिलकर एक एआई टेस्ट किया, जिसमें खरीफ 2025 के लिए 13 राज्यों में स्थानीय मानसून आने का सही समय अनुमानित किया गया। यह अनुमान किसानों के लिए बेहद अहम होता है, क्योंकि बुवाई समय पर हो जाए तो बीज, खाद और मेहनत का पूरा फायदा मिलता है।
इस पूर्वानुमान को तैयार करने के लिए एक ओपन-सोर्स ब्लेंडेड मॉडल का इस्तेमाल किया गया, जिसमें Neural-GCM, यूरोपीय मौसम मॉडल ECMWF–AIFS और भारतीय मौसम विभाग के 125 साल के वर्षा डेटा को जोड़ा गया। तैयार पूर्वानुमान पाँच भाषाओं-हिन्दी, उड़िया, मराठी, बांग्ला और पंजाबी में एम-किसान पोर्टल के जरिए 3 करोड़ 88 लाख 45 हजार से ज़्यादा किसानों को एसएमएस के रूप में भेजे गए।
सरकार द्वारा मध्य प्रदेश और बिहार में किसानों से फ़ोन पर ली गई प्रतिक्रिया में पाया गया कि 31% से 52% किसानों ने इन संदेशों के आधार पर बुवाई की रणनीति बदली। इसमें बुवाई की तारीख बदलने, खेत की तैयारी का समय तय करने, फसल चयन करने और आवश्यक इनपुट खरीदने जैसे फ़ैसले शामिल थे। इससे स्पष्ट है कि एआई आधारित मौसम जानकारी सीधे खेती के फ़ैसलों को प्रभावित कर रही है और किसानों के जोखिम कम कर रही है।
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कीट नियंत्रण में भी एआई बड़ा रोल निभा रहा है। राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली के तहत किसान खेत में कीट की फोटो भेजते हैं और एआई प्रणाली कीट की पहचान कर तुरंत समाधान का सुझाव देती है। यह टूल आज 10,000 से अधिक कृषि विस्तार कर्मियों के साथ काम कर रहा है और 66 फसलों व 432 प्रकार के कीटों पर किसानों को मदद प्रदान कर रहा है। इससे कीट प्रकोप समय रहते नियंत्रित होता है और नुकसान काफी कम होता है।
फसल निगरानी में भी एआई का इस्तेमाल बढ़ा है। सैटेलाइट तस्वीरों और खेत से ली गई जियो-टैग्ड फोटो की मदद से एआई सिस्टम फसल की स्थिति, बोई गई फसलों की पहचान और मौसमी प्रगति का विश्लेषण करता है, जिससे उत्पादन अनुमान और कृषि नीति दोनों मजबूत होते हैं।
सरकार का मानना है कि एआई से खेती को स्मार्ट, सुरक्षित, कम जोखिम वाली और ज्यादा लाभदायक बनाया जा सकता है और आने वाले वर्षों में एआई आधारित कृषि सेवाओं का दायरा और तेज़ी से बढ़ेगा।