ट्रंप का बड़ा राहत पैकेज, लेकिन भारत के चावल निर्यात पर खतरे की घंटी
Gaon Connection | Gaon Connection Network | Dec 09, 2025, 13:31 IST
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में किसानों के लिए 12 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता की घोषणा की है। उन्होंने भारत जैसे देशों से कृषि उत्पादों के आयात पर टैक्स बढ़ाने की चेतावनी देकर कृषि क्षेत्र को सुरक्षा देने का एक साहसी कदम उठाया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने किसानों को राहत देने के लिए 12 अरब डॉलर (लगभग 1 लाख करोड़ रुपये) का बड़ा पैकेज घोषित किया है। यह पैसा टैरिफ (आयात पर लगाए गए शुल्क) से जुटाया जाएगा।
लेकिन इसी घोषणा के दौरान उन्होंने भारत और दूसरे एशियाई देशों से होने वाले कृषि आयात पर सख्ती करने की चेतावनी भी दी।
ट्रंप का कहना है कि विदेशी कृषि उत्पाद बहुत सस्ते दामों पर अमेरिका में बिकते हैं, जिससे अमेरिकी किसानों की कमाई घट रही है। इसलिए किसानों की सुरक्षा के लिए जरूरत पड़ी तो सबसे कड़े टैरिफ लगाए जाएंगे।
चावल पर खास निशाना, भारत चर्चा के केंद्र में
व्हाइट हाउस की बैठक में भारत का नाम चावल के आयात के मुद्दे पर खुलकर लिया गया।एक अमेरिकी चावल उत्पादक कंपनी की प्रमुख ने कहा कि भारत, थाईलैंड और चीन बहुत सस्ता चावल भेज रहे हैं, जिससे अमेरिकी किसानों का बाज़ार छिन रहा है।
उन्होंने तो यहाँ तक कहा, “विदेशी सब्सिडी वाला चावल अमेरिका के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन चुका है।”और भारत के खिलाफ कड़े कदम और टैरिफ बढ़ाने की मांग रखी।
जब ट्रंप को बताया गया कि अमेरिका में सबसे ज्यादा बिकने वाले दो चावल ब्रांड भारतीय कंपनियों के हैं, तो उन्होंने तुरंत कहा, “एक्शन लिया जाएगा… टैरिफ लगते ही समस्या कुछ मिनट में हल हो जाएगी।”
सोयाबीन और दूसरी फसलें भी चर्चा में
बैठक में ट्रंप ने बताया कि चीन बड़ी मात्रा में अमेरिकी सोयाबीन खरीदने का वादा कर चुका है।कुछ अधिकारियों ने कहा कि पिछली सरकार में ग्रामीण अर्थव्यवस्था कमजोर हुई, इसलिए अब राहत पैकेज + सख्त व्यापार नीति दोनों ज़रूरी हैं।
इसका असर भारतीय किसानों पर क्या पड़ सकता है?
भारत अमेरिका को बासमती चावल, मसाले, समुद्री उत्पाद आदि बेचता है। जबकि अमेरिका भारत को बादाम, कपास और दालें बेचता है।
लेकिन अब अगर ट्रंप भारत के चावल पर ज्यादा टैरिफ लगा देते हैं, तो असर सबसे ज्यादा पड़ेगा, बासमती चावल निर्यात करने वाले किसानों और मिलों पर, छोटे किसानों पर जो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के ज़रिए निर्यात से जुड़े हैं, मंडियों और प्रोसेसिंग उद्योगों पर, बंदरगाहों और परिवहन से जुड़े मज़दूरों पर, मतलब, 1 फैसले से लाखों भारतीय किसानों और श्रमिकों की आय प्रभावित हो सकती है।
आगे क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों का अनुमान
अमेरिका भारत के चावल पर टैरिफ बढ़ा सकता है
WTO में भारत–अमेरिका विवाद और तेज़ हो सकता है
भारत से आने वाले कृषि उत्पादों की जांच सख्त हो सकती है
चुनाव के दबाव में अमेरिका और भी कदम उठा सकता है
भारत को क्या रणनीति अपनानी चाहिए?
सरकार को निर्यात पर स्थिर नीति रखनी होगी
अमेरिका पर निर्भरता कम कर मध्य पूर्व और यूरोप जैसे बाज़ारों पर ध्यान बढ़ाना होगा
किसानों को गुणवत्ता और ट्रेसबिलिटी वाली खेती के लिए प्रोत्साहन देना होगा
प्रोसेस्ड और वैल्यू ऐडेड उत्पादों को बढ़ावा देना होगा (उदाहरण: तैयार टू कुक बासमती, रेडी मील)
कुल मिलाकर अमेरिका में यह फैसला वहाँ के किसानों की जीत और भारतीय किसानों के लिए एक चेतावनी माना जा रहा है। अमेरिकी किसान खुश, लेकिन भारतीय किसानों को आने वाले समय में बाज़ार की अनिश्चितता के लिए तैयार रहना होगा।
लेकिन इसी घोषणा के दौरान उन्होंने भारत और दूसरे एशियाई देशों से होने वाले कृषि आयात पर सख्ती करने की चेतावनी भी दी।
ट्रंप का कहना है कि विदेशी कृषि उत्पाद बहुत सस्ते दामों पर अमेरिका में बिकते हैं, जिससे अमेरिकी किसानों की कमाई घट रही है। इसलिए किसानों की सुरक्षा के लिए जरूरत पड़ी तो सबसे कड़े टैरिफ लगाए जाएंगे।
चावल पर खास निशाना, भारत चर्चा के केंद्र में
व्हाइट हाउस की बैठक में भारत का नाम चावल के आयात के मुद्दे पर खुलकर लिया गया।एक अमेरिकी चावल उत्पादक कंपनी की प्रमुख ने कहा कि भारत, थाईलैंड और चीन बहुत सस्ता चावल भेज रहे हैं, जिससे अमेरिकी किसानों का बाज़ार छिन रहा है।
उन्होंने तो यहाँ तक कहा, “विदेशी सब्सिडी वाला चावल अमेरिका के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन चुका है।”और भारत के खिलाफ कड़े कदम और टैरिफ बढ़ाने की मांग रखी।
जब ट्रंप को बताया गया कि अमेरिका में सबसे ज्यादा बिकने वाले दो चावल ब्रांड भारतीय कंपनियों के हैं, तो उन्होंने तुरंत कहा, “एक्शन लिया जाएगा… टैरिफ लगते ही समस्या कुछ मिनट में हल हो जाएगी।”
सोयाबीन और दूसरी फसलें भी चर्चा में
बैठक में ट्रंप ने बताया कि चीन बड़ी मात्रा में अमेरिकी सोयाबीन खरीदने का वादा कर चुका है।कुछ अधिकारियों ने कहा कि पिछली सरकार में ग्रामीण अर्थव्यवस्था कमजोर हुई, इसलिए अब राहत पैकेज + सख्त व्यापार नीति दोनों ज़रूरी हैं।
इसका असर भारतीय किसानों पर क्या पड़ सकता है?
भारत अमेरिका को बासमती चावल, मसाले, समुद्री उत्पाद आदि बेचता है। जबकि अमेरिका भारत को बादाम, कपास और दालें बेचता है।
लेकिन अब अगर ट्रंप भारत के चावल पर ज्यादा टैरिफ लगा देते हैं, तो असर सबसे ज्यादा पड़ेगा, बासमती चावल निर्यात करने वाले किसानों और मिलों पर, छोटे किसानों पर जो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के ज़रिए निर्यात से जुड़े हैं, मंडियों और प्रोसेसिंग उद्योगों पर, बंदरगाहों और परिवहन से जुड़े मज़दूरों पर, मतलब, 1 फैसले से लाखों भारतीय किसानों और श्रमिकों की आय प्रभावित हो सकती है।
आगे क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों का अनुमान
अमेरिका भारत के चावल पर टैरिफ बढ़ा सकता है
WTO में भारत–अमेरिका विवाद और तेज़ हो सकता है
भारत से आने वाले कृषि उत्पादों की जांच सख्त हो सकती है
चुनाव के दबाव में अमेरिका और भी कदम उठा सकता है
भारत को क्या रणनीति अपनानी चाहिए?
सरकार को निर्यात पर स्थिर नीति रखनी होगी
अमेरिका पर निर्भरता कम कर मध्य पूर्व और यूरोप जैसे बाज़ारों पर ध्यान बढ़ाना होगा
किसानों को गुणवत्ता और ट्रेसबिलिटी वाली खेती के लिए प्रोत्साहन देना होगा
प्रोसेस्ड और वैल्यू ऐडेड उत्पादों को बढ़ावा देना होगा (उदाहरण: तैयार टू कुक बासमती, रेडी मील)
कुल मिलाकर अमेरिका में यह फैसला वहाँ के किसानों की जीत और भारतीय किसानों के लिए एक चेतावनी माना जा रहा है। अमेरिकी किसान खुश, लेकिन भारतीय किसानों को आने वाले समय में बाज़ार की अनिश्चितता के लिए तैयार रहना होगा।