रोज़ाना पीने वाली प्लास्टिक बोतलें हमारे शरीर को धीरे-धीरे बीमार कर रही हैं
Gaon Connection | Gaon Connection Network | Dec 10, 2025, 14:51 IST
भारत के वैज्ञानिकों ने पहली बार साबित किया है कि सिंगल-यूज़ PET बोतलों से निकलने वाले नैनोप्लास्टिक इंसानी शरीर के जरूरी सिस्टम को नुकसान पहुँचा रहे हैं। यह अदृश्य कण हमारी gut health, खून और सेल्स तक को धीमे-धीमे कमजोर कर रहे हैं, बिना हमें महसूस हुए।
सिंगल-यूज़ प्लास्टिक की बोतलें जिनमें हम रोज़ पानी भरकर पीते हैं, वही बोतलें अब हमारे शरीर के लिए खतरे की घंटी बनकर सामने आ रही हैं।
मोहाली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी और लखनऊ के CBMR के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण अध्ययन में बताया है कि इन बोतलों से निकलने वाले बेहद सूक्ष्म नैनोप्लास्टिक इंसानी शरीर की कोशिकाओं को गहराई तक नुकसान पहुँचा सकते हैं। यह नुकसान इतना धीमा है कि हमें पता भी नहीं चलता, लेकिन यह हमारे शरीर के सबसे ज़रूरी सिस्टम को भीतर से कमजोर करता रहता है।
वैज्ञानिकों ने PET बोतलों से बिल्कुल वैसे नैनोप्लास्टिक बनाए जैसे वास्तविक दुनिया में बनते हैं। इनका आकार इतना छोटा था, सिर्फ 50 nm से 850 nm तक कि ये आसानी से शरीर के अंदर पहुँच जाते हैं। जब इन नैनोप्लास्टिक को इंसानी स्वास्थ्य से जुड़े तीन महत्वपूर्ण जैविक सिस्टम पर टेस्ट किया गया, तो नतीजे बेहद चिंता बढ़ाने वाले रहे।
गट माइक्रोबायोम में मौजूद लाभकारी बैक्टीरिया, जो हमारी पाचन शक्ति, इम्यूनिटी और शरीर की सुरक्षा का आधार होते हैं, वे नैनोप्लास्टिक के संपर्क में आकर कमजोर पड़ गए। उनकी ग्रोथ रुक गई, झिल्ली को नुकसान हुआ, एंटीऑक्सीडेंट क्षमता घट गई और बैक्टीरिया में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ गया। लंबे समय तक संपर्क में रहने पर यह नुकसान और तेज हो गया। इससे साफ दिखता है कि रोज़ प्लास्टिक बोतल का पानी पीना धीरे-धीरे हमारी gut health को बिगाड़ सकता है।
इसी तरह नैनोप्लास्टिक ने Red Blood Cells यानी RBCs को भी प्रभावित किया। उनकी आकृति बदल गई, झिल्ली कमजोर हो गई और टूटने की संभावना बढ़ गई, यानी खून तक इस खतरे से सुरक्षित नहीं है। तीसरे स्तर पर, नैनोप्लास्टिक को मानव एपिथीलियल सेल्स (A549 cells) पर टेस्ट किया गया, जो हमारे शरीर के कई हिस्सों की सुरक्षात्मक लाइनिंग बनाते हैं।
शुरुआत में असर कम दिखा, लेकिन लंबे समय के बाद कोशिकाओं की जीवित रहने की क्षमता घटने लगी, DNA को नुकसान पहुँचा, सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ गया और कोशिकाएं समय से पहले मरने लगीं। शरीर के अंदर पहुँचकर ये नैनोप्लास्टिक म्यूटेशन का खतरा भी बढ़ा सकते हैं, जो भविष्य में गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है।
इस अध्ययन का सबसे डराने वाला पहलू यह है कि एक ही तरह के नैनोप्लास्टिक ने शरीर के तीन अलग-अलग सिस्टमए आंत, खून और टिश्यू सभी में नुकसान दिखाया। यानी शरीर का कोई भी हिस्सा इनसे सुरक्षित नहीं है। और यह सब उस प्लास्टिक की वजह से हो रहा है जिसे हम साधारण, सुरक्षित और सस्ता समझकर रोज़ उपयोग करते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि नैनोप्लास्टिक अब इंसानी शरीर के लिए “साइलेंट थ्रेट” बन चुका है। यह न केवल gut health को बिगाड़ता है, बल्कि रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाता है, DNA को प्रभावित करता है और लंबी अवधि में गंभीर बीमारियों का आधार बन सकता है। यह स्टडी हमें चेतावनी देती है कि अगर अभी भी हमने प्लास्टिक की निर्भरता पर रोक नहीं लगाई और इसे नियंत्रित करने के लिए कड़े नियम नहीं बनाए, तो आने वाले समय में इसका नुकसान और गहरा होगा।
असलियत यही है, प्लास्टिक की बोतल से पानी पीना सिर्फ पर्यावरण के लिए नहीं, बल्कि हमारे शरीर की सेहत और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के लिए भी खतरा है। नैनोप्लास्टिक हर दिन खाने, पीने और सांस के साथ हमारे शरीर में जा रहा है और धीरे-धीरे हमारे सबसे ज़रूरी सिस्टम को भीतर से खोखला कर रहा है। यह समय जागने का है, क्योंकि चेतावनी साफ है अगर प्लास्टिक नहीं रुका, तो नुकसान नहीं रुकेगा।
https://www.youtube.com/watch?v=USsjTzSp_1c&t=1s
मोहाली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी और लखनऊ के CBMR के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण अध्ययन में बताया है कि इन बोतलों से निकलने वाले बेहद सूक्ष्म नैनोप्लास्टिक इंसानी शरीर की कोशिकाओं को गहराई तक नुकसान पहुँचा सकते हैं। यह नुकसान इतना धीमा है कि हमें पता भी नहीं चलता, लेकिन यह हमारे शरीर के सबसे ज़रूरी सिस्टम को भीतर से कमजोर करता रहता है।
वैज्ञानिकों ने PET बोतलों से बिल्कुल वैसे नैनोप्लास्टिक बनाए जैसे वास्तविक दुनिया में बनते हैं। इनका आकार इतना छोटा था, सिर्फ 50 nm से 850 nm तक कि ये आसानी से शरीर के अंदर पहुँच जाते हैं। जब इन नैनोप्लास्टिक को इंसानी स्वास्थ्य से जुड़े तीन महत्वपूर्ण जैविक सिस्टम पर टेस्ट किया गया, तो नतीजे बेहद चिंता बढ़ाने वाले रहे।
गट माइक्रोबायोम में मौजूद लाभकारी बैक्टीरिया, जो हमारी पाचन शक्ति, इम्यूनिटी और शरीर की सुरक्षा का आधार होते हैं, वे नैनोप्लास्टिक के संपर्क में आकर कमजोर पड़ गए। उनकी ग्रोथ रुक गई, झिल्ली को नुकसान हुआ, एंटीऑक्सीडेंट क्षमता घट गई और बैक्टीरिया में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ गया। लंबे समय तक संपर्क में रहने पर यह नुकसान और तेज हो गया। इससे साफ दिखता है कि रोज़ प्लास्टिक बोतल का पानी पीना धीरे-धीरे हमारी gut health को बिगाड़ सकता है।
प्लास्टिक की बोतल से पानी पीना सिर्फ पर्यावरण के लिए नहीं, बल्कि हमारे शरीर की सेहत और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के लिए भी खतरा है।
इसी तरह नैनोप्लास्टिक ने Red Blood Cells यानी RBCs को भी प्रभावित किया। उनकी आकृति बदल गई, झिल्ली कमजोर हो गई और टूटने की संभावना बढ़ गई, यानी खून तक इस खतरे से सुरक्षित नहीं है। तीसरे स्तर पर, नैनोप्लास्टिक को मानव एपिथीलियल सेल्स (A549 cells) पर टेस्ट किया गया, जो हमारे शरीर के कई हिस्सों की सुरक्षात्मक लाइनिंग बनाते हैं।
शुरुआत में असर कम दिखा, लेकिन लंबे समय के बाद कोशिकाओं की जीवित रहने की क्षमता घटने लगी, DNA को नुकसान पहुँचा, सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ गया और कोशिकाएं समय से पहले मरने लगीं। शरीर के अंदर पहुँचकर ये नैनोप्लास्टिक म्यूटेशन का खतरा भी बढ़ा सकते हैं, जो भविष्य में गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है।
इस अध्ययन का सबसे डराने वाला पहलू यह है कि एक ही तरह के नैनोप्लास्टिक ने शरीर के तीन अलग-अलग सिस्टमए आंत, खून और टिश्यू सभी में नुकसान दिखाया। यानी शरीर का कोई भी हिस्सा इनसे सुरक्षित नहीं है। और यह सब उस प्लास्टिक की वजह से हो रहा है जिसे हम साधारण, सुरक्षित और सस्ता समझकर रोज़ उपयोग करते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि नैनोप्लास्टिक अब इंसानी शरीर के लिए “साइलेंट थ्रेट” बन चुका है। यह न केवल gut health को बिगाड़ता है, बल्कि रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाता है, DNA को प्रभावित करता है और लंबी अवधि में गंभीर बीमारियों का आधार बन सकता है। यह स्टडी हमें चेतावनी देती है कि अगर अभी भी हमने प्लास्टिक की निर्भरता पर रोक नहीं लगाई और इसे नियंत्रित करने के लिए कड़े नियम नहीं बनाए, तो आने वाले समय में इसका नुकसान और गहरा होगा।
असलियत यही है, प्लास्टिक की बोतल से पानी पीना सिर्फ पर्यावरण के लिए नहीं, बल्कि हमारे शरीर की सेहत और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के लिए भी खतरा है। नैनोप्लास्टिक हर दिन खाने, पीने और सांस के साथ हमारे शरीर में जा रहा है और धीरे-धीरे हमारे सबसे ज़रूरी सिस्टम को भीतर से खोखला कर रहा है। यह समय जागने का है, क्योंकि चेतावनी साफ है अगर प्लास्टिक नहीं रुका, तो नुकसान नहीं रुकेगा।
https://www.youtube.com/watch?v=USsjTzSp_1c&t=1s