By Neetu Singh
जब 20 साल पहले नीतू सिंह दुल्हन बनकर यूपी के अलीगढ़ के भरथुआ गाँव में आईं तब से वो एक शिक्षिका बनकर बच्चों को पढ़ा रही हैं। अपनी इस कठिन यात्रा में उन्होंने 115 बच्चों को अकेले पढ़ाया तो कभी बच्चों के बैठने के लिए सीमेंट की बोरियों से चटाई बनाई, वह अपने ससुर की विरासत को जीवित रखने के लिए संघर्ष कर रही हैं, जिन्होंने 1995 में भरथुआ गाँव में जयबल विद्यालय की स्थापना की थी, जहां इससे पहले कोई स्कूल नहीं था।
जब 20 साल पहले नीतू सिंह दुल्हन बनकर यूपी के अलीगढ़ के भरथुआ गाँव में आईं तब से वो एक शिक्षिका बनकर बच्चों को पढ़ा रही हैं। अपनी इस कठिन यात्रा में उन्होंने 115 बच्चों को अकेले पढ़ाया तो कभी बच्चों के बैठने के लिए सीमेंट की बोरियों से चटाई बनाई, वह अपने ससुर की विरासत को जीवित रखने के लिए संघर्ष कर रही हैं, जिन्होंने 1995 में भरथुआ गाँव में जयबल विद्यालय की स्थापना की थी, जहां इससे पहले कोई स्कूल नहीं था।
By Neetu Singh
Neetu Singh recalls her difficult 20-year-old journey as a teacher since she came to Bharthua village in Aligarh, UP, as a young bride. From teaching 115 children single handedly to stitching together cement bags to use as durries in the classroom, she is struggling to keep alive a legacy of her father-in-law who set up Jaybal Vidyalaya in 1995 in Bharthua village that had no school before that.
Neetu Singh recalls her difficult 20-year-old journey as a teacher since she came to Bharthua village in Aligarh, UP, as a young bride. From teaching 115 children single handedly to stitching together cement bags to use as durries in the classroom, she is struggling to keep alive a legacy of her father-in-law who set up Jaybal Vidyalaya in 1995 in Bharthua village that had no school before that.
By Neetu Singh
साधारण सी दिखने वाली आरती राना कभी पेट भरने के लिए तालाब से मछली पकड़ती थीं, रोटी बनाने के लिए जंगल में भटककर लकड़ियां बीनकर लाती थीं, लेकिन आज इन्होंने न सिर्फ खुद का बल्कि थारू समुदाय की 1200 से ज्यादा महिलाओं को हैंडीक्राफ्ट उत्पाद बनाने का मौका देकर उनके भविष्य को संवार रही हैं।
साधारण सी दिखने वाली आरती राना कभी पेट भरने के लिए तालाब से मछली पकड़ती थीं, रोटी बनाने के लिए जंगल में भटककर लकड़ियां बीनकर लाती थीं, लेकिन आज इन्होंने न सिर्फ खुद का बल्कि थारू समुदाय की 1200 से ज्यादा महिलाओं को हैंडीक्राफ्ट उत्पाद बनाने का मौका देकर उनके भविष्य को संवार रही हैं।
By Neetu Singh
भारत पांच अप्रैल को एक दिन में कोविड-19 का सबसे ज्यादा टीका लगाने वाला देश बन गया है। पिछले 24 घंटे में देश में 4.3 मिलयन से अधिक लोगों को कोविड वैक्सीनेशन दिया गया। लेकिन ग्रामीण इस टीकाकरण के लिए स्वास्थ्य केन्द्रों पर क्यों नहीं पहुंच रहे? पढ़िए लखीमपुर खीरी से ग्राउंड रिपोर्ट
भारत पांच अप्रैल को एक दिन में कोविड-19 का सबसे ज्यादा टीका लगाने वाला देश बन गया है। पिछले 24 घंटे में देश में 4.3 मिलयन से अधिक लोगों को कोविड वैक्सीनेशन दिया गया। लेकिन ग्रामीण इस टीकाकरण के लिए स्वास्थ्य केन्द्रों पर क्यों नहीं पहुंच रहे? पढ़िए लखीमपुर खीरी से ग्राउंड रिपोर्ट
By Neetu Singh
पूनम तिवारी के लिए गांव की पगडंडियों से निकलकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारोत्तोलन खेल को खेलना इतना आसान नहीं था। ख्याति पा चुकी पूनम गांव के दर्जनों बच्चों को भारोत्तोलन खेल का प्रशिक्षण दे चुकी हैं। इस खिलाड़ी से प्रशिक्षण पाकर कई बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। सीरीज में आगे पढ़िए पूनम तिवारी के जिंदगी से जुड़े कई अनछुए पहलुओं के बारे में ...
पूनम तिवारी के लिए गांव की पगडंडियों से निकलकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारोत्तोलन खेल को खेलना इतना आसान नहीं था। ख्याति पा चुकी पूनम गांव के दर्जनों बच्चों को भारोत्तोलन खेल का प्रशिक्षण दे चुकी हैं। इस खिलाड़ी से प्रशिक्षण पाकर कई बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। सीरीज में आगे पढ़िए पूनम तिवारी के जिंदगी से जुड़े कई अनछुए पहलुओं के बारे में ...
By Neetu Singh
दोपहर तीन बजे के करीब तीन लड़कियां खेत पर घास लेने गई थीं। तीनों लड़कियां शाम को संदिग्ध अवस्था में मिली जिसमें दो की मौत हो चुकी है जबकि तीसरी कानपुर में जिंदगी और मौत से जूझ रही है।
दोपहर तीन बजे के करीब तीन लड़कियां खेत पर घास लेने गई थीं। तीनों लड़कियां शाम को संदिग्ध अवस्था में मिली जिसमें दो की मौत हो चुकी है जबकि तीसरी कानपुर में जिंदगी और मौत से जूझ रही है।
By Neetu Singh
यूपी में चल रहे 86 कृषि विज्ञान केंद्रों पर तैनात गृह विज्ञान की वैज्ञानिक बाजरे से कई तरह के पकवान और व्यंजन बनाना सिखा रही हैं जिससे ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं जागरुक होकर अपने खानपान में पोषण से भरपूर बाजरे का ज्यादा से ज्यादा उपयोग बढ़ाएं।
यूपी में चल रहे 86 कृषि विज्ञान केंद्रों पर तैनात गृह विज्ञान की वैज्ञानिक बाजरे से कई तरह के पकवान और व्यंजन बनाना सिखा रही हैं जिससे ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं जागरुक होकर अपने खानपान में पोषण से भरपूर बाजरे का ज्यादा से ज्यादा उपयोग बढ़ाएं।
By Neetu Singh
नागौर जिले के कलेक्टर डॉ जितेन्द्र सोनी ने कुछ ऐसे विद्यालयों में जन-सहयोग से बिजली पहुंचा दी जहाँ के लोगों के लिए स्कूल में बिजली पहुँचना किसी सपने जैसा था। छह महीने में जन-सहयोग से जिले के 839 सरकारी विद्यालयों में बिजली पहुंच चुकी है। जिला कलेक्टर की इस मुहिम की राजस्थान के मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने सराहना करते हुए राज्य के सभी जिलाधिकारियों को एक पत्र जारी कर कहा है कि नागौर का 'उजास' अभियान हर जिले में लागू किया जाए। राजस्थान में 11,000 से ज्यादा सरकारी स्कूल हैं जिनमे बिजली की सुविधा नहीं है। राज्य का 'उजास' माॅडल दूसरे राज्य भी अपनाकर जनसहयोग से सरकारी विद्यालयों में बिजली पहुंचा सकते हैं।
नागौर जिले के कलेक्टर डॉ जितेन्द्र सोनी ने कुछ ऐसे विद्यालयों में जन-सहयोग से बिजली पहुंचा दी जहाँ के लोगों के लिए स्कूल में बिजली पहुँचना किसी सपने जैसा था। छह महीने में जन-सहयोग से जिले के 839 सरकारी विद्यालयों में बिजली पहुंच चुकी है। जिला कलेक्टर की इस मुहिम की राजस्थान के मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने सराहना करते हुए राज्य के सभी जिलाधिकारियों को एक पत्र जारी कर कहा है कि नागौर का 'उजास' अभियान हर जिले में लागू किया जाए। राजस्थान में 11,000 से ज्यादा सरकारी स्कूल हैं जिनमे बिजली की सुविधा नहीं है। राज्य का 'उजास' माॅडल दूसरे राज्य भी अपनाकर जनसहयोग से सरकारी विद्यालयों में बिजली पहुंचा सकते हैं।
By Neetu Singh
लखनऊ के अवध शिल्पग्राम में चल रहे हुनर हाट में 'एक जनपद एक उत्पाद' में यूपी के 75 जिले से भिन्न-भिन्न तरह के स्वदेशी उत्पाद आये हुए हैं। ये उत्पाद लोकल फॉर वोकल का जीता जागता उदाहरण हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षों से ये कारीगर जो उत्पाद बनाते आये हैं उनको इस हुनर हाट में मार्केटिंग का एक बेहतर मौका मिला है।
लखनऊ के अवध शिल्पग्राम में चल रहे हुनर हाट में 'एक जनपद एक उत्पाद' में यूपी के 75 जिले से भिन्न-भिन्न तरह के स्वदेशी उत्पाद आये हुए हैं। ये उत्पाद लोकल फॉर वोकल का जीता जागता उदाहरण हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षों से ये कारीगर जो उत्पाद बनाते आये हैं उनको इस हुनर हाट में मार्केटिंग का एक बेहतर मौका मिला है।
By Neetu Singh
कभी दूसरों के खेत में मेहनत मजदूरी करने वाली झारखंड की ये महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर आज कृषि उत्पादक कम्पनियों की मालिक बन गई हैं। ये महिलाएं 'एग्री पार्ट' जैसे केन्द्रों को खोलकर किसानों को बाजार से कम दामों में कृषि से जुड़े सामान बेचती हैं और कृषि से जुड़ी समस्याओं का नि:शुल्क समाधान करती हैं।
कभी दूसरों के खेत में मेहनत मजदूरी करने वाली झारखंड की ये महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर आज कृषि उत्पादक कम्पनियों की मालिक बन गई हैं। ये महिलाएं 'एग्री पार्ट' जैसे केन्द्रों को खोलकर किसानों को बाजार से कम दामों में कृषि से जुड़े सामान बेचती हैं और कृषि से जुड़ी समस्याओं का नि:शुल्क समाधान करती हैं।